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सड़क पर चलते ही चार्ज होगी इलेक्ट्रिक कार, दुनिया के पहले ERS का ट्रायल शुरू

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पेरिस

कल्पना कीजिए, आपकी इलेक्ट्रिक कार तेज रफ्तार में हाईवे पर दौड़ रही है और बिना रुके उसकी बैटरी अपने आप चार्ज हो रही है. न कोई केबल, न कोई चार्जिंग स्टेशन, न इंतज़ार. यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि फ्रांस की धरती पर हकीकत बन चुका है. दुनिया का पहला ऐसा मोटरवे अब फ्रांस में चालू हो गया है, जो चलते हुए वाहनों को वायरलेस तरीके से चार्ज करता है. यह प्रयोग न सिर्फ तकनीकी रूप से क्रांतिकारी है, बल्कि यह भविष्य की सड़कों का खाका भी पेश करता है. जहां सड़कें खुद सोर्स ऑप एनर्जी (ऊर्जा का स्रोत) की तरह काम करेंगी.

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फ्रांस ने सस्टेनेबल मोबिलिटी की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है. फ्रांस ने दुनिया का पहला ऐसा मोटरवे शुरू किया है, जिसमें डायनामिक वायरलेस चार्जिंग सिस्टम लगाया गया है. यह तकनीक इलेक्ट्रिक वाहनों को चलते-चलते चार्ज करने की सुविधा देती है, यानी अब कार या ट्रक को चार्जिंग स्टेशन पर रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

कहां और कैसे शुरू हुआ ये प्रोजेक्ट

पेरिस से लगभग 40 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित A10 मोटरवे पर इस अनोखे प्रयोग की शुरुआत हुई है. विंसी ऑटोरूट्स (VINCI Autoroutes) के नेतृत्व में इलेक्ट्रिऑन, विंसी कंस्ट्रक्शन, गुस्टाव आइफ़ेल यूनिवर्सिटी और हचिन्सन जैसी संस्थाओं ने मिलकर “चार्ज ऐज यू ड्राइव” नामक इस प्रोजेक्ट को तैयार किया है. यह पहल अब लैब टेस्टिंग से आगे बढ़कर रियल टाइम ट्रैफिक सिचुएशन तक पहुंच गया है.

करीब 1.5 किलोमीटर लंबे इस हाइवे सेक्शन में सड़क के अंदर कॉइल्स (Coils) को एम्बेड किया गया है. इन कॉइल्स से होकर गुजरने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों, जैसे ट्रक, बस, पैसेंजर कार और यूटिलिटी व्हीकल को चलते समय ही बिजली मिलेगी. शुरुआती परीक्षणों में यह तकनीक बेहद सफल साबित हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस सिस्टम ने 300 किलोवॉट से अधिक की पीक पावर और औसतन 200 किलोवॉट की एनर्जी ट्रांसफर की क्षमता दिखाई है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

विंसी ऑटोरूट्स के सीईओ निकोलस नॉटेबेयर के अनुसार, “अगर यह तकनीक फ्रांस के मेन रोड नेटवर्क पर चार्जिंग स्टेशनों के साथ लागू होती है, तो भारी वाहनों के इलेक्ट्रिफिकेशन की स्पीड कई गुना बढ़ेगी. इससे लॉजिस्टिक्स सेक्टर से होने वाले कार्बन उत्सर्जन में भी बड़ी कमी आएगी.” Electreon के सीईओ ओरेन एज़र ने इसे “इलेक्ट्रिक रोड टेक्नोलॉजी के इतिहास का निर्णायक मोड़” बताया और कहा कि “दुनिया में अभी कोई भी तकनीक इतनी सस्टेनेबलिटी और पावर के साथ डायनामिक चार्जिंग नहीं दे सकती.”

कैसे काम करती है यह तकनीक

इस डायनामिक इंडक्शन चार्जिंग में सड़क की सतह के नीचे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कॉइल्स लगाए जाते हैं. जब कोई इलेक्ट्रिक वाहन इन कॉइल्स के ऊपर से गुजरता है, तो मैग्नेटिक फील्ड के माध्यम से बिजली वाहन में लगे रिसीवर तक पहुंचती है. यह एनर्जी या तो सीधे मोटर को चलाती है या फिर बैटरी में स्टोर हो जाती है.

इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि वाहन को चार्जिंग के लिए रुकना नहीं पड़ता. वह लगातार चलता रहता है और यात्रा के दौरान ही चार्ज होता जाता है. इससे न केवल वाहनों का डाउनटाइम घटता है, बल्कि छोटी और हल्की बैटरियों का इस्तेमाल भी संभव हो पाता है. ट्रक जैसे भारी वाहनों के लिए इसका मतलब है – ज्यादा लोड कैपेसिटी, कम बैटरी लागत और संसाधनों की बचत. इस सिस्टम में ज्यादा सटीक तकनीकी तालमेल जरूरी है. सड़क के नीचे लगे ट्रांसमिट कॉइल और वाहन में लगे रिसीवर कॉइल के बीच बिजली का आदान-प्रदान रियल टाइम में सेंसर और सॉफ्टवेयर के जरिए कंट्रोल होता है.

अन्य देशों में भी प्रयोग

फ्रांस का यह प्रयोग दुनिया में पहला है, जो मोटरवे पर लाइव ट्रैफिक में डायनामिक चार्जिंग का परीक्षण कर रहा है. लेकिन अन्य देश भी इस दिशा में तेजी से बढ़ रहे हैं. जर्मनी A6 मोटरवे पर इलेक्ट्रॉन की ही तकनीक से 1 किलोमीटर लंबा ट्रायल शुरू करने जा रहा है. इटली के लोम्बार्डी एरिया में “Arena del Futuro” प्रोजेक्ट ट्रकों और बसों के लिए इसी तरह के चार्जिंग सिस्टम का परीक्षण कर रहा है.

स्वीडन, अमेरिका, चीन, दक्षिण कोरिया और इज़राइल भी अपने-अपने स्तर पर इस तकनीक को परख रहे हैं. ये सभी प्रोजेक्ट आने वाले वर्षों में इलेक्ट्रिक रोड सिस्टम (ERS) की तकनीकी के स्टैंडर्ड, कॉस्टिंग और व्यवहार्यता तय करने में मदद करेंगे.

क्या होंगे फायदे

इलेक्ट्रिक रोड सिस्टम का ये प्रोजेक्ट कई मायनों में बेहद ही उपयोगी और लाभदायक साबित होगा, जैसे-

इससे छोटी बैटरियों के इस्तेमाल से लिथियम और कोबाल्ट जैसे आयातित खनिजों पर निर्भरता घटेगी.

भारी वाहनों को लगातार ऊर्जा मिलती रहेगी, जिससे लॉजिस्टिक्स सेक्टर में इलेक्ट्रिफिकेशन की लागत कम होगी.

EV के प्रयोग को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.

चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने में मदद मिलेगी.

आने वाले महीनों में यह पायलट प्रोजेक्ट सड़क की टिकाऊपन, पावर डिलीवरी, रखरखाव और वास्तविक लागत का डाटा एकत्र करेगा. यह 1.5 किलोमीटर का सेगमेंट सिर्फ शुरुआत है. अगर यह प्रयोग सफल रहा, तो यही तकनीक भविष्य में फ्रांस, यूरोप और संभवतः पूरी दुनिया में हज़ारों किलोमीटर की सड़कों पर लागू हो सकती है. यानी फ्यूचर का रोडमैप तैयार है, जहां सड़कें सिर्फ रास्ता नहीं, बल्कि ऊर्जा का स्रोत भी बनेंगी.

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